आप पार्टी से होगी आठ राज्यों में भाजपा आंधी?
हरिशंकर व्यास
पिछले दो चुनाव में भाजपा ने कुछ राज्यों में लगभग सभी सीटें जीती हैं। राजस्थान और गुजरात जैसे दो बड़े राज्यों में भाजपा ने 2014 और 2019 में सभी सीटें जीतीं। मध्य प्रदेश और झारखंड में भी भाजपा ने लगभग सभी सीटें जीतीं। इनके अलावा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सभी सीटें भाजपा ने जीतीं। छत्तीसगढ़ और हरियाणा में भी दोनों चुनावों में भाजपा ने लगभग सभी सीटें जीतीं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पहले चुनाव में 70 और दूसरे चुनाव में 62 सीटें जीतीं। महाराष्ट्र में दोनों लोकसभा चुनाव भाजपा ने शिव सेना के साथ मिल कर लड़े थे और दोनों चुनावों में बड़ी जीत हासिल की थी। बिहार में एक बार अकेले और दूसरी बार जनता दल यू के साथ लड़ कर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी।
इन राज्यों में से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और झारखंड की 131 में से 125 सीटें भाजपा के पास हैं। सोचें, इन नौ राज्यों की 95 फीसदी सीटें भाजपा ने जीती हैं और लगातार दो चुनावों से भाजपा इसी अनुपात में इन राज्यों में जीती है। उत्तर प्रदेश की 80 में से 64 सीटें भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल के पास हैं। भाजपा की इन 10 राज्यों की 303 में 189 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश की छोटी सहयोगी पार्टी को छोड़ दें तो बाकी नौ राज्यों में भाजपा अकेले लड़ती है। दिल्ली को छोड़ कर बाकी आठ राज्यों में उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस से होता है। जहां भाजपा का कांग्रेस से सीधा मुकाबला होता है वहा भाजपा को सबसे आसानी होती है। ध्यान रहे जहां भी कांग्रेस से सीधा मुकाबला है वहां भाजपा की जीत का प्रतिशत 90 या उससे ऊपर है। इसकी तुलना में प्रादेशिक पार्टियों के साथ लड़ाई में भाजपा पिछड़ जाती है। वहां उसकी जीत का प्रतिशत कम होता है।
सवाल है कि क्या इस बार भी कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले वाले प्रदेशों में भाजपा उतनी ही आसानी से जीत जाएगी जितनी आसानी से दो बार से जीत रही है? मगर यह ध्यान रहे कि जिन आठ राज्यों में कांग्रेस के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला है उनमें से पांच राज्यों में भाजपा की सरकार है। मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। मध्य प्रदेश में बीच के कांग्रेस के डेढ़ साल के राज को अलग करें तो वहां 2003 से भाजपा की सरकार है। हिमाचल को छोड़ कर बाकी तीन राज्यों में भाजपा की लगातार दूसरी बार सरकार बनी है।
इसलिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सांसदों की तिहरी एंटी इन्कंबैंसी होगी। ऐसे में भाजपा के लिए मुकाबला आसान होने का सिर्फ एक कारण दिख रहा है और वह है आम आदमी पार्टी। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सिर्फ उन्हीं राज्यों में राजनीति कर रही है, जहां कांग्रेस मजबूत है। उन राज्यों में वह भाजपा विरोधी वोट काटेगी। यानी दोहरी या तिहरी एंटी इन्कंबैंसी, जहां भी है वहां सत्ता विरोधी वोट का बंटवारा आम आदमी पार्टी कर देगी, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। भाजपा भी मुख्यमंत्री बदल कर एंटी इन्कंबैंसी कम कर रही है और चुनाव में उम्मीदवार भी बदले जाएंगे।