‘अमर जवान ज्योति’ को नेशनल वार मेमोरियल की लौ में मिलाने पर सियासत शुरू
दिल्ली। भारत पाक युद्ध में शहीदो की श्रधांजली में राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट में जलने वाली ‘अमर जवान ज्योति’ आज नेशनल वार मेमोरियल की लौ में मिला दी जाएगी।भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया जाएगा और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लौ में मिला दिया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे जो कि दोनों लौ को मिलाएंगे। इंडिया गेट स्मारक ब्रिटिश सरकार द्वारा 1914-1921 के बीच अपनी जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था।
बता दें की पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वार मेमोरियल) पर जल रही लौ में विलय किया जाएगा। सेना के अधिकारियों ने बताया कि अमर जवान ज्योति का आज दोपहर 3:30 बजे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में मिला दिया जाएगा, जोकि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जोकि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
वहीं अब इसको लेकर सियासत शुरु हो गई है। राहुल गांधी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया की ‘बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे।’ बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
राहुल गाँधी के इस सवाल पर सरकार की तरफ से जवाब भी आ गया। अमर जवान ज्योति को बुझाने के आरोप लगने पर सरकार ने कहा की अमर जवान ज्योति की लौ बुझाया नहीं जा रहा। बल्कि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्वाला में मिला दिया जा रहा है। ये अलग बात थी कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों में जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई भी नाम वहां मौजूद नहीं है। सरकार ने कहा कि इसको लेकर गलत सूचना फैलाई जा रही है।
सरकार ने आरोप लगाने वाले नेताओं पर निशाना साधा। सरकार ने कहा कि ये विडंबना ही है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हंगामा कर रहे हैं जबकि युद्धों में जान गंवाने वाले हमारे भारतीय जवानों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि दी जा रही है।