मेरठ के जिला अस्पताल में प्रसव करवाने आई 11 महिलाएं निकली एचआईवी पॉजिटिव, डिलीवरी के बाद किया जाएगा उपचार
उत्तर प्रदेश। मेरठ में महिला जिला चिकित्सालय में प्रसव कराने पहुंचीं 11 महिलाएं एचआईवी संक्रमित निकलीं। महिलाओं को जानकारी नहीं थी कि उन्हें एचआईवी है। डिलीवरी कराने के बाद इनका एचआईवी का उपचार किया जा रहा है। इनके बच्चों की भी जांच की जाएगी। मेडिकल के एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर के प्रभारी रहे वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य ने बताया कि एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जिसकी वजह से एड्स होता है। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है।
जिस इंसान में इस वायरस की मौजूदगी होती है उसे एचआईवी पॉजिटिव कहते हैं। आमतौर पर लोग एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब ही एड्स समझने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। एचआईवी के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर पर तरह-तरह की बीमारियां और इंफेक्शन पैदा करने वाले वायरस अटैक करने लगते हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने के करीब 8-10 साल बाद इन तमाम बीमारियों के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।
इस स्थिति को ही एड्स कहा जाता है। वैसे, एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद से एड्स होने तक के अंतराल को दवाओं की मदद से बढ़ाया जा सकता है। कुछ बीमारियों को ठीक भी किया जा सकता है। मेडिकल के एआरटी सेंटर में इनका इलाज किया जाता है।
महिला जिला अस्पताल में प्रसव से पहले जांच होती है, जिसमें इन्हें संक्रमण की पुष्टि हुई। अस्पताल इलाज के साथ-साथ पीड़ितों को जागरूक भी करेगा।
इन कारणों से होती है एड्स की बीमारी
- दूषित सिरिंज का उपयोग करना
- दूषित रेजर या टूथब्रश का इस्तेमाल
- दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस
- दूषित सुई से टैटू बनवाना या एक्यूपंचर करवाना
- असुरक्षित यौन संबंध