गौ भक्तों के नाम पर ढिंढोरा पीटने वालों को शादाब अली से सीखनी चाहिए सच्ची गौ भक्ति
देहरादून। भारतीय गौ रक्षा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तराखंड प्रभारी शादाब अली की निस्वार्थ गौ सेवा का हर कोई मुरीद है। देहरादून, ऋषिकेश, मुनीकीरेती में एक्सीडेंटल साड के पेट का कराया भारतीय गौ रक्षा वाहिनी व संयोग से डॉ आशुतोष जोशी के देख रेख में हुआ सकुशल ऑपरेशन हुआ ।
एक अल्पसंख्यक समाज से आने वाला यह व्यक्ति अपनी जान को हथेली पर लेकर कई बार ऐसे मरे हुए पशुओं को अपने हाथों से उठाकर गाड़ियों में रखकर सही स्थान पर भिजवाया ऐसे ही लगातार सरकारों से बार-बार गुजारिश कर रहा है यह भारतीय गौ रक्षा वाहिनी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का उपाध्यक्ष एवं उत्तराखंड प्रभारी शादाब अली ने रोड पर फिरने वाले आवारा पशु कूड़ा करकट खा कर पेट भरते हैं जिससे कई बार उनको बड़ी दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है लेकिन आज भी किसी सरकार की नजर इसके सराहनीय कार्य पर क्यों नहीं या सिर्फ ढिंढोरा पीटने वालों को ही सरकार का इनाम दिया जाता है। यहाँ फिर यू कहे कि सोशल साइट पर भी ऐसी वैसी पोस्टों पर एकदम सभी सरकारों से लेकर भक्तों की नजर पड़ जाती है लेकिन इसके द्वारा लगातार आज कई वर्षों से उत्तर प्रदेश, व उत्तराखंड में किए जा रहे सामाजिक कार्य पर किसी की नजर क्यों नहीं।
देश प्रदेश की सड़कों पर घूमने वाली लावारिस गाय, भैंस आदि पशु किस तरह का खाना खाने को मजबूर हैं या ये कहें कि शहरी सड़कों पर किस तरह का कचरा भरा पड़ा है इसकी मिसाल एक नही कई बार दे चुका हूँ फिर आई एक खबर से मिलता हूँ, जो किसी को भी हैरान कर सकता है। यहां दुर्घटना का शिकार हो गया एक सांड़ का ऑपरेशन कराया गया तो उसके पेट से दो-चार नहीं पूरे 71 किलो प्लास्टिक और अन्य तरह का कचरा निकला। इसमें चूड़ी के टुकड़े कील, सुई, नटबोल्ट, सिक्के आदि शामिल हैं। सांड की सर्जरी करने वाले तीन डॉक्टरों आशुतोष जोशी पैनल में डॉ.पारुल सिंह मुनीकीरेती, डॉ अमित वर्मा ऋषिकेश, ने बताया कि सर्जरी जरूर सफल रही लेकिन सांड अभी खतरे से बाहर नहीं है। अगले 10 दिन उसके लिए खतरे से भरे हैं।
जानकारी के अनुसार इस सांड को एनआईटी-5 में एक कार ने ठोकर मार दी थी जिसके बाद इसे देवाश्रय पशु अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने देखा कि यह गाय अपने पैरों से पेट को मार रही थी, जिससे यह पता चला कि उसके पेट में दर्द है। डॉक्टरों ने इसके बाद कुछ टेस्ट, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी किया, जिससे इस बात की पुष्टि हो गई कि सांड के पेट में हानिकारक पदार्थ मौजूद हैं।
डॉक्टर ने बताया कि सांड के पेट के चार चेंबर साफ करने में डॉक्टरों को लगभग चार घंटे लग गए जिसमें ज्यादातर पॉलिथीन ही मौजूद थी। डॉक्टर ने बताया कि जैसे पशुओं का पाचन तंत्र थोड़ा कॉम्प्लेक्स होता है और अगर यहां कोई बाहरी चीज ज्यादा दिन तक रह जाए तो पेट से चिपक जाता है। ऐसे में यहां हवा आनी शुरू हो जाती है जिसके बाद जानवर अपने पेट पर मारने लगते हैं या गिर जाते हैं। ऐसी सर्जरी पहले भी की गई है लेकिन पेट से 71 किलो का कचरा निकला एक अलार्म जैसा है जो बड़े खतरे का संकेत है।