भाजपा की दक्षिण भारत और उत्तर पूर्व विजय
अजय दीक्षित
पिछले आठ साल में भाजपा ने उत्तर-पूर्व के राज्यों की विभिन्न पार्टियों से 93 एमएलए अपने खाते में संजो लिए हैं । ज्ञात हो कि मिजोरम विधानसभा में मात्र 40 सदस्य होते हैं । अभी हाल में मणिपुर के 6 जे.डी.यू. विधायकों में से पांच को भाजपा ने कमल की माला पहना दी । इनका भव्य स्वागत दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में स्वयं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया । सन् 2014 में नागालैण्ड विधानसभा में एन.सी.पी. के तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे । अरुणाचल प्रदेश में सन् 2003 और 2016 में समस्त कांग्रेसी विधायक एक मुश्त भाजपा में शामिल हो गये और बिना किसी इलेक्शन के वहां भाजपा की सरकार बन गई ।
यूं यह कमल खिलाने का काम पूरे देश में चल रहा है । उत्तराखण्ड में अनेक कांग्रेसी भाजपा में शामिल हुये थे । मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस के 23 विधायक एक मुश्त भाजपा में शामिल हो गये और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने ग्रे । गोवा में भी यह खेल खेला जा चुका है । राजस्थान में जरूर सफल नहीं हो पाये पर अब दिल्ली और उत्तराखण्ड पर नजर है । जल्दी ही झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सरकार गिर जायेगी, ऐसा आभास राजनैतिक विश्लेषक बतलाते हैं ।
भाजपा तो कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती है । और यह और कोई नहीं स्वयं प्रधानमंत्री बोलते हैं जबकि सच्चे स्वराज में विपक्षी दल की अहम भूमिका होती है । हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी ही हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए कहते हैं कि कोई बरसाती पहनकर नहाना डॉक्टर साहब से सीखे । दिल्ली के मुख्यमंत्री उनके लिए एके-47 हैं ।
उत्तर पूर्व के 93 विधायक जो भाजपा में सन् 2014 से अब तक शामिल हुए हैं, उनमें 32 कांग्रेसी हैं । यह संख्या कुल दलबदलुओं का एक तिहाई है ।
2019 में अरुणाचल प्रदेश में जे.डी.यू. के छ: विधायक भाजपा में शामिल हुए थे । त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के विधायकों को तोडऩे का सिलसिला जारी है । इनकी संख्या अब नौ हो गई है जो अब भाजपा में हैं परन्तु पहले ममता भक्त थे । यद्यपि अरुणाचल प्रदेश में 2003 में 36 कांग्रेसी विधायक भाजपा में शामिल हुए थे परन्तु जिगोंग अपांग की सरकार मात्र 42 दिन ही चल पाई । असम में कांग्रेसी हेमंत विश्वा सरमा भाजपा में शामिल हुए थे । सरमा ने ही अरुणाचल प्रदेश में दूसरी बार विधायकों की तोडफ़ोड़ करके भाजपा की सरकार बनवाई थी । कांग्रेस के 32 विधायक पहले पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हुए और बाद में 48 घंटे में ही भाजपा में शामिल हो गये । जब से नरेन्द्र मोदी का ध्यान उत्तर पूर्व पर गया है गया राम का खेल शुरू हो गया है । मणिपुर में पूर्व कांग्रेसी एन. बीरने सिंह ने वहां भाजपा की सरकार बनवाने में बड़ी भूमिका निभाई है ।
अब विधायकों का पाला बदलना उस जनता के साथ धोखा है जिन्होंने उन्हें चुनकर भेजा है । यह आत्मा की पुकार नहीं है, धन की थैली की पुकार है । ऐसा कुछ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं । अभी हाल में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों को 30-30 करोड़ का ऑफर भाजपा ने दिया है, ऐसा आरोप मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल लगाते हैं । वे शीघ्र ही राष्ट्रपति से भी ऑपरेशन लोटस को लेकर राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं ।
दक्षिण भारत में भाजपा की मुख्य बाधा भाषा है । अभी उनका सारा फोकस तेलंगाना पर है । कई बार गृहमंत्री और प्रधानमंत्री वहां का दौरा कर चुके हैं । वे वहां के मुख्यमंत्री के लिए जिस भाषा और जो शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं, वह राजनैतिक जानकारों के अनुसार शिष्ट तो नहीं है । शायद आचरण संहिता का उल्लंघन ही हो । दलबदल भूल जाते हैं कि उनकी लायल्टी मतदाता के प्रति है । दक्षिण में भाजपा ज्यादातर सिने स्टारों पर भरोसा कर रही है । कमल हासन, चिरंजीवी, प्रकाश राज जैसे दक्षिण के सिने स्टार भाजपा का समर्थन कर रहे हैं । आगे समय बतलायेगा ।